11/03/2010

जिस वसुधा पर जन्म लिया

जिस वसुधा पर जन्म लिया 
जिसने तुझको पुत्र कहा 
उस वसुधा की सम्पति को 
ए पुत्र तु मिटा रहा 
इस वसुधा के नयनों का 
नीर तू बहा रहा
इस वसुधा के हाथ तरु है
उसको तु कटा रहा
जिस वसुधा पर जन्म लिया 
जिसने तुझको पुत्र कहा 
जलवायु और पेड़ों द्वारा 
उसने तेरा अस्तित्व बचाए रखा
ए पुत्र तू अपने हाथों से
अपना अस्तित्व मिटा रहा|

2 टिप्‍पणियां:

  1. सही बात है, मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रकति को हानि पहुंचा रहा है...... बहुत अच्छी रचना है आपकी...
    sparkindinas.blogspot.com

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  2. बिलकुल सही बात ...सुन्दर प्रस्तुति !
    आपको सपरिवार प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
    उल्फ़त के दीप

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