11/01/2010

विज्ञापनों से डर लगता है

कार्यक्रमों के बीच
अचानक से टपकते है|
अख़बारों में भी
धड़ल्ले से छपते है|
सड़कों,खम्बों,दीवारों पर
च्विंगम से चिपकते है|
हर जगह दिख जाते
ये अनचाहे वक्ता है
विज्ञापनों से डर लगता है|
कही पान की पीकों से लदे
कही फटें, उखड़े
प्रकृति को छुपाते
विशाल होर्डिंग्स में लगे|
अब तो उत्तर भी दक्षिण को
देखने को तरसता है
विज्ञापनों से डर लगता है|
नेट पर हार गया लगता है
पॉप अप ब्लोकर
सब के सामने बन जाता है
कैसे जोकर
पॉप अप को क्लोस कर करके
हम थकता है
विज्ञापनों से डर लगता है|
बच्चों से लेकर बड़ों ने
रट डाले है
विज्ञापनों ने ऐसे बुने जाले है
अच्छा बुरा सभी
यह बकता है
विज्ञापनों से डर लगता है|

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