10/30/2010

मेरी पहली प्रकाशित कविता

आज में आपसे बांटने वाली हूँ ,मेरी पहली प्रकाशित कविता|यह कविता २००४ में दैनिक भास्कर,स्कूल भास्कर में प्रकाशित हुई थी|यह मेरे लिए एक यादगार दिन था और एक शुरुआत भी|कविता का शीर्षक है फील गुड फैक्टर |

फील गुड फैक्टर

लो जंगल में भी आ गया
फील गुड फैक्टर
हाथी इतरा रहा है,
अपनी मस्त चाल पर
बन्दर कूद रहा है मस्ती से डाल पर|
गधे खुश है बनके पॉप सिंगर
चतुर लोमड़ी कह रही
घी में है पांचों फिंगर|
बिल्ली कह रही है अब चूहे नहीं खाऊँगी
घरों में दूध ही दूध है 
जाके चाट कर जाउंगी|
बैल कह रहे है अब मैं न बेरोजगार हूँ|
हरित क्रान्ति आई है खेतों में हल
जोतने को तैयार हूँ|
खरगोश कह रहें है जमकर 
गाजर-मुली खाऊंगा
फील गुड आया है इसका
लाभ उठाऊंगा|
ऊंट कह रहे है रेगिस्तान में जाऊंगा
पर्यटक आते है उनको लुभाऊंगा|
मोर नाच रहा है बिन बारिश के
पंछी खुश है खुला आकाश है
शेर की हो गई आँखें नम
करता है भगवान से दुआ
हमारे भी दूर हो जाये सारे गम|
सभी खुश है अंदाज
फील गुड का देखकर लो जंगल में भी आ या
फील गुड का फैक्टर|






                                                                  

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