10/28/2010

ऐसे न होता तो क्या होता

पहाड़ों की ओट से
सूरज कैसे निकलता है
इमारतों के बीच
एक झरोखा तो होता|
बच्चे हँसते खेलते स्कूल जाते
कंधे पर भारी बस्ता न होता|
ऐसे न होता तो क्या होता|
खुली सड़क और खुले मैदान होते
पहियों से लदा रास्ता न होता|
माएं घर संभालती
पिता काम पर जाते
महंगाई से हाल खस्ता न होता|
ऐसे न होता तो क्या होता|
लोग पौष्टिक भोजन लेते
जंक फ़ूड का नाश्ता न होता|
पाँव भाजी या डोसे का आर्डर देते
अगर पिज्जा  और पास्ता न होता|
ऐसे न होता तो क्या होता|
पहाड़ों की ओट से
सूरज कैसे निकलता है
इमारतों के बीच
एक झरोखा तो होता|


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